जातस्त हि ध्रुवो मृत्युर्ध्रुवं जन्म मृतस्य च ।
तस्मादपरिहार्येऽर्थे न त्वं शोचितुमर्हसि ॥ २७ ॥
तस्मादपरिहार्येऽर्थे न त्वं शोचितुमर्हसि ॥ २७ ॥
जिसने जन्म लिया है उसकी मृत्यु निश्चित है और मृत्यु के पश्चात पुनर्जन्म भी निश्चित है। अतः अपने अपरिहार्य कर्तव्यपालन में तुम्हें शोक नही करना चाहिए।
***********************************************************
अगर जन्म हुआ है किसी का तो
साथ ही निश्चित है उसका मरना।
मृत्यु को अगर कोई प्राप्त हुआ
तो तय है उसका फिर जन्म होना।।
इसलिए जिस कर्तव्य का पालन
तुम्हारे लिए सर्वथा अनिवार्य है।
उसमें कोई शोक करो न तुम अब
यही तुम्हारे लिए करणीय कार्य है।।
No comments:
Post a Comment