Thursday, October 20, 2016

अध्याय-3, श्लोक-1

अर्जुन उवाच
ज्यायसी चेत्कर्मणस्ते मता बुद्धिर्जनार्दन।
तत्किं कर्मणि घोरे मां नियोजयसि केशव॥ १ ॥
अर्जुन ने कहा - हे जनार्दन, हे केशव! यदि आप बुद्धि को सकाम कर्म से श्रेष्ठ समझते हैं तो फिर मुझे इस घोर युद्ध में क्यों लगाना चाहते हैं?
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अर्जुन करते हैं जिज्ञासा प्रभु से कि 
आपके अनुसार कर्म से श्रेष्ठ ज्ञान है।
सकाम कर्म करने की अपेक्षा अगर 
ज्ञान के मार्ग का अनुसरण महान है।।

तो हे केशव! इस स्थिति में तो फिर  
मनुष्य भयंकर कर्म से बचना चाहे।
पर सब कुछ जानते हुए भी जनार्दन 
आप मुझे इस युद्ध में क्यों लगा रहे?

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