Thursday, October 13, 2016

अध्याय-2, श्लोक-35

भयाद्रणादुपरतं मंस्यन्ते त्वां महारथाः ।
येषां च त्वं बहुमतो भूत्वा यास्यसि लाघवम्‌ ॥ ३५ ॥
जिन-जिन महान योद्धाओं ने तुम्हारे नाम तथा यश को सम्मान दिया है वे सोचेंगे कि तुमने डर के मारे युद्धभूमि छोड़ दी है और इसतरह वे तुम्हें तुच्छ मानेंगे।
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जिन के ऊपर तुम करुणा करके
आज रणभूमि से जाना चाहते हो।
जिन सम्बन्धों को तुम आज यहाँ 
धर्म से बढ़कर निभाना चाहते हो।।

वे भी तुम्हारे इस पलायन को करुणा 
नही, वरण तुम्हारी कायरता ही कहेंगे।
जो करते थे तुम्हारी वीरता का बखान 
वे भी यश सम्मान तुम्हें वैसा न  देंगे।।

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