Tuesday, October 25, 2016

अध्याय-3, श्लोक-23

यदि ह्यहं न वर्तेयं जातु कर्मण्यतन्द्रितः ।
मम वर्त्मानुवर्तन्ते मनुष्याः पार्थ सर्वशः ॥ २३ ॥
क्योंकि यदि मैं नियत कर्मों को सावधानीपूर्वक न करूँ तो हे पार्थ! यह निश्चित है कि सारे मनुष्य मेरे पथ का ही अनुगमन करेंगे।
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आवश्यक है अपने कार्यों के द्वारा 
लोगों के समक्ष सही आदर्श रखना।
अपने कर्त्तव्यपालन से उन्हें उनके 
कर्त्तव्यों के प्रति सावधान करना ।।

हे पार्थ! अगर मैं न करूँ गंभीरता से  
नियत कर्मों का सही-सही पालन।
तो निश्चित है कि ये सारे मनुष्य भी 
करेंगे लगेंगे इस कार्य का अनुगमन।।

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