Thursday, October 20, 2016

अध्याय-3, श्लोक-2

व्यामिश्रेणेव वाक्येन बुद्धिं मोहयसीव मे ।
तदेकं वद निश्चित्य येन श्रेयोऽहमाप्नुयाम्‌ ॥ २ ॥
आपके व्यामिश्रित ( अनेकार्थक) उपदेशों से मेरी बुद्धि मोहित हो गई है। अतः कृपा करके निश्चयपूर्वक मुझे बतायें कि इनमें से मेरे लिए सर्वाधिक श्रेयस्कर क्या होगा?
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अनेक अर्थोंवाले उपदेशों से आपके  
मेरी यह बुद्धि मानो मोहित हो रही है।
इन उपदेशों में से अपने लिए उचित 
एक रास्ता नही वह चुन पा रही है।।

इन अनेक सही मार्गों में सो जो भी 
मेरे लिए है सर्वोत्तम,वह मुझे बतायें।
इतनी कृपा करें प्रभु मुझ पर ताकि 
मुझे मेरे जीवन का ध्येय मिल पाये।।

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