अकीर्तिं चापि भूतानि कथयिष्यन्ति तेऽव्ययाम् ।
सम्भावितस्य चाकीर्ति र्मरणादतिरिच्यते ॥ ३४ ॥
सम्भावितस्य चाकीर्ति र्मरणादतिरिच्यते ॥ ३४ ॥
लोग सदैव तुम्हारे अपयश का वर्णन करेंगे और सम्मानित व्यक्ति के लिए अपयश तो मृत्यु से भी बढ़कर है।
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क्या प्राप्त होगा तुम्हें हे अर्जुन
इस तरह युद्ध से मुख मोड़कर।
चिर काल तक अपयश होगा
चले गये जो रणभूमि छोड़कर।।
जिसका यश हो हर ओर फैला
वह अपयश नहीं सह पाता है।
तुम जैसे कीर्तिवान वीरों के लिए
अपयश मृत्यु से बढ़कर होता है।।
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