यद्यदाचरति श्रेष्ठस्तत्तदेवेतरो जनः ।
स यत्प्रमाणं कुरुते लोकस्तदनुवर्तते ॥ २१ ॥
स यत्प्रमाणं कुरुते लोकस्तदनुवर्तते ॥ २१ ॥
महापुरुष जो जो आचरण करता है, सामान्य व्यक्ति उसी का अनुसरण करते हैं। वह अपने अनुसरणीय कार्यों से जो आदर्श प्रस्तुत करता है, सम्पूर्ण विश्व उसका अनुसरण करता है।
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समाज के श्रेष्ठ जनों के जीवन को
बाक़ी जन अपना आदर्श बनाते हैं।
जैसा आचरण करते हैं महापुरुष
सामान्य लोग भी वही अपनाते हैं।।
महापुरुषों के अनुसरणीय कार्यों से
सारे विश्व का ही मार्गदर्शन होता है।
उनके जीवन के मूल्यों से समाज का
सदियों तक कुशल संचालन होता है।।
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समाज के श्रेष्ठ जनों के जीवन को
बाक़ी जन अपना आदर्श बनाते हैं।
जैसा आचरण करते हैं महापुरुष
सामान्य लोग भी वही अपनाते हैं।।
महापुरुषों के अनुसरणीय कार्यों से
सारे विश्व का ही मार्गदर्शन होता है।
उनके जीवन के मूल्यों से समाज का
सदियों तक कुशल संचालन होता है।।
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