Thursday, October 13, 2016

अध्याय-2, श्लोक-37

हतो वा प्राप्स्यसि स्वर्गं जित्वा वा भोक्ष्यसे महीम्‌ ।
तस्मादुत्तिष्ठ    कौन्तेय      युद्धाय    कृतनिश्चयः ॥ ३७ ॥
हे कुंतीपुत्र! तुम यदि युद्ध में मारे जाओगे तो स्वर्ग प्राप्त करोगे या यदि जीत जाओगे तो पृथ्वी के साम्राज्य का भोग करोगे। अतः दृढ़संकल्प करके खड़े होओ और युद्ध करो।
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युद्ध करते हुए जो वीरगति को पाया 
तो प्राप्त करोगे देवताओं का लोक।
अगर जीत तुम्हारी होती है तो फिर 
पाओगे पृथ्वी के साम्राज्य का भोग।।

हे कुंतीपुत्र! त्यागकर यह निर्बलता 
खड़े हो जाओ दृढ़ संकल्प के साथ।
युद्ध ही होगा तुम्हारे लिए अभी उत्तम
बढ़ो आगे अब इस विकल्प के साथ।। 

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