Tuesday, October 18, 2016

अध्याय-2, श्लोक-63

क्रोधाद्‍भवति सम्मोहः सम्मोहात्स्मृतिविभ्रमः ।
स्मृतिभ्रंशाद् बुद्धिनाशो बुद्धिनाशात्प्रणश्यति ॥ ६३ ॥
क्रोध से पूर्ण मोह उत्पन्न होता है और मोह से स्मरणशक्ति का विभ्रम हो जाता है। जब स्मरणशक्ति भ्रमित हो जाती है, तो बुद्धि नष्ट हो जाती है और बुद्धि नष्ट होने पर मनुष्य भव-कूप में पुनः गिर जाता है।
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क्रोध जन्म देता है पूर्ण मोह को 
मोह से स्मरणशक्ति में भ्रम होता।
भ्रमित स्मरणशक्ति में तो मानव 
अपना विवेक तब भी है खो देता।।

जिसके विवेक का नाश हो जाए 
उसका तो पतन निश्चित है होता।
मोह और भ्रम से भटका वह मानव  
बारम्बार इस भव सागर में गिरता।।

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