Monday, October 17, 2016

अध्याय-2, श्लोक-54

अर्जुन उवाच
स्थितप्रज्ञस्य का भाषा समाधिस्थस्य केशव ।
स्थितधीः किं प्रभाषेत किमासीत व्रजेत किम्‌ ॥ ५४ ॥
अर्जुन ने कहा-हे कृष्ण! अध्यात्म में लीन चेतना वाले व्यक्ति (स्थितप्रज्ञ) के क्या लक्षण हैं? वह कैसे बोलता है तथा उसकी भाषा क्या है? वह किस प्रकार बैठता तथा चलता है?
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कहा अर्जुन ने अब श्रीकृष्ण से कि 
प्रभु उस व्यक्ति के लक्षण बताए।
जिनकी चेतना होती आध्यात्मिक 
जो अपनी बुद्धि को स्थिर कर पाए।।

किस प्रकार की होती है उनकी बोली 
और किस भाषा का वे प्रयोग हैं करते?
उठने-बैठने की उनकी क्या विशेषता 
स्थितप्रज्ञ व्यक्ति  किस तरह चलते हैं?

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