Sunday, October 9, 2016

अध्याय-2, श्लोक-23


नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावकः ।
न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुतः ॥ २३ ॥
यह आत्मा न तो कभी किसी शस्त्र द्वारा खण्ड-खण्ड किया जा सकता है, न अग्नि द्वारा जलाया जा सकता है, न जल द्वारा भिगोया या वायु द्वारा सुखाया जा सकता है।
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विनाश तो सदा होता है शरीर का 
आत्मा को भला कौन मार सकता।
न शस्त्र कोई कर पाए टुकड़े इसके 
न ही आग का ताप इसे जला पाता।।

नमी जिस जल का स्वभाविक गुण 
वो जल भी इसे भिगो नही पाता।
वायु से भी इसे कोई क्षति नही होती 
वह भी आत्मा को सुख नही सकता।।

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