न जायते म्रियते वा कदाचि-न्नायं भूत्वा भविता वा न भूयः ।
अजो नित्यः शाश्वतोऽयं पुराणो-न हन्यते हन्यमाने शरीरे ॥ २० ॥
अजो नित्यः शाश्वतोऽयं पुराणो-न हन्यते हन्यमाने शरीरे ॥ २० ॥
आत्मा के लिए किसी भी काल में न तो जन्म है न मृत्यु। वह न तो कभी जन्मा है, न जन्म लेता है और न जन्म लेगा। वह अजन्मा, नित्य, शाश्वत तथा पुरातन है। शरीर के मारे जाने पर वह मारा नही जाता।
************************************************
कभी भी आत्मा का जन्म हुआ न
न ही कभी भी मृत्यु हुई इसकी।
किसी काल में अपवाद न इसका
बात भूत, भविष्य या वर्तमान की।।
अजन्मा, नित्य, शाश्वत व पुरातन
आत्मा के है ये स्वभाविक लक्षण।
मारा जाए जब ये क्षणिक शरीर
तब भी आत्मा रहता है अक्षुण्ण ।।
No comments:
Post a Comment