Sunday, November 6, 2016

अध्याय-4, श्लोक-19

यस्य सर्वे समारम्भाः कामसंकल्पवर्जिताः ।
ज्ञानाग्निदग्धकर्माणं तमाहुः पंडितं बुधाः ॥ १९ ॥
जिस व्यक्ति का प्रत्येक प्रयास इन्द्रियतृप्ति की कामना से रहित होता है, उसे पूर्णज्ञानी समझा जाता है। उसे ही साधु पुरुष ऐसा कर्त्ता कहते हैं, जिसने पूर्णज्ञान की अग्नि में कर्मफलों को भस्मसात कर दिया है।
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जिस व्यक्ति के सारे ही काम 
भोग वासना  से रहित  होते हैं।
फल की इच्छा किए बिना जो  
पूरी लगन से सारे कर्म करते हैं।।

जिनके समस्त कर्मों के फल 
ज्ञान अग्नि में भस्म हो गए हैं।
बुद्धिमान लोगों की दृष्टि में 
ऐसे मनुष्य पूर्ण ज्ञानी हुए हैं।।

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