Friday, November 4, 2016

अध्याय-4, श्लोक-15

एवं ज्ञात्वा कृतं कर्म पूर्वैरपि मुमुक्षुभिः ।
कुरु कर्मैव तस्मात्वं पूर्वैः पूर्वतरं कृतम्‌ ॥ १५ ॥
प्राचीन काल में समस्त मुक्तात्माओं ने मेरी दिव्य प्रकृति को जान करके ही कर्म किया, अतः तुम्हें चाहिए कि उनके पदचिन्हों का  अनुसरण करते हुए अपने कर्त्तव्य का पालन करो।
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मुक्ति की कामना करनेवालों ने 
मेरी दिव्य प्रकृति को जाना है।
प्राप्त किया उन सबने मोक्ष को 
जिन्होंने मेरे सत्य को पहचाना है।।

तुम भी उन प्राचीन महापुरुषों के 
पदचिन्हों का ही अनुसरण करो।
मेरी दिव्य प्रकृति को जानकर 
अपने कर्त्तव्य कर्म का पालन करो।

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