कर्मणो ह्यपि बोद्धव्यं बोद्धव्यं च विकर्मणः ।
अकर्मणश्च बोद्धव्यं गहना कर्मणो गतिः ॥ १७ ॥
अकर्मणश्च बोद्धव्यं गहना कर्मणो गतिः ॥ १७ ॥
कर्म की बारीकियों को समझना अत्यंत कठिन है। अतः मनुष्य को चाहिए कि वह यह ठीक से जानें कि कर्म क्या है और अकर्म क्या है?
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कर्मों की गति बड़ी ही गहन होती है
इन्हें समझ पाना होता आसान नही।
इसकी सूक्ष्मता समझ नही आती
अगर सही से हो इसका ज्ञान नही।।
इसलिए मनुष्य को चाहिए कि वह
समझ ले आख़िर क्या होता है कर्म।
विकर्म के विषय में भी हो जानकारी
और पता हो कि कैसे होता है अकर्म।।
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