एवं परम्पराप्राप्तमिमं राजर्षयो विदुः ।
स कालेनेह महता योगो नष्टः परन्तप ॥ २ ॥
स कालेनेह महता योगो नष्टः परन्तप ॥ २ ॥
इस प्रकार यह परम विज्ञान गुरु-परंपरा द्वारा प्राप्त किया गया और राजर्षियों ने इसी विधि से इसे समझा। किंतु कालक्रम में यह परम्परा छिन्न हो गई, अतः यह विज्ञान यथारूप में लुप्त हो गया लगता है।
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हे अर्जुन! इसप्रकार यह परम विज्ञान
गुरु-शिष्य परम्परा द्वारा लिया गया।
गुरु-शिष्य परम्परा द्वारा लिया गया।
राज-ऋषियों ने दिव्य ज्ञान को इसी
पारम्परिक विधि से ही ग्रहण किया।।
किंतु समय के प्रभाव में यह परंपरा
छिन्न-भिन्न होकर नष्ट-सी हो गयी।
विज्ञान से युक्त परम ज्ञान की बातें
कालक्रम में मानो लुप्त ही हो गयी।।
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