Wednesday, November 2, 2016

अध्याय-4, श्लोक-3

स एवायं मया तेऽद्य योगः प्रोक्तः पुरातनः ।
भक्तोऽसि मे सखा चेति रहस्यं ह्येतदुत्तमम्‌ ॥ ३ ॥
आज मेरे द्वारा वही यह प्राचीन योग यानी परमेश्वर के साथ अपने संबंध का विज्ञान तुमसे कहा जा रहा है क्योंकि तुम मेरे भक्त और मित्र हो, अतः तुम इस विज्ञान के दिव्य रहस्य को समझ सकते हो।
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आज वही दिव्य प्राचीन ज्ञान मैं
तुम्हें आज पुनः बताने जा रहा हूँ।
परमेश्वर और जीव के  संबंध का
विज्ञान फिर से तुम्हें समझा रहा हूँ।।

क्योंकि मेरे प्रिय सखा होने के साथ
भक्ति भी है तुम्हारे भीतर मेरे लिए।
इसलिए इस उत्तम ज्ञान का रहस्य
समझना सहज होगा  तुम्हारे लिए।।

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