अर्जुन उवाच
अपरं भवतो जन्म परं जन्म विवस्वतः ।
कथमेतद्विजानीयां त्वमादौ प्रोक्तवानिति ॥ ४ ॥
अपरं भवतो जन्म परं जन्म विवस्वतः ।
कथमेतद्विजानीयां त्वमादौ प्रोक्तवानिति ॥ ४ ॥
अर्जुन ने कहा-सूर्यदेव विवस्वान आप से पहले हो चुके (ज्येष्ठ) हैं, तो फिर मैं कैसे समझूँ कि प्रारम्भ में भी आपने उन्हें इस विद्या का उपदेश दिया था।
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अर्जुन कर रहे जिज्ञासा प्रभु से कि
अर्जुन कर रहे जिज्ञासा प्रभु से कि
कैसे समझूँ मैं आपकी यह बात।
आप जो कह रहे हैं कि सर्वप्रथम
यह उपदेश बाँटा सूर्यदेव के साथ।।
सूर्यदेव का जन्म तो आज का नही
वे तो उत्पन्न सृष्टि के प्रारम्भ में हुए।
और आपका जन्म तो अभी हुआ है
फिर आपने उपदेश उनसे कैसे कहे?
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