यदि मामप्रतीकारमशस्त्रं शस्त्रपाणयः ।
धार्तराष्ट्रा रणे हन्युस्तन्मे क्षेमतरं भवेत् ॥ ४५ ॥
धार्तराष्ट्रा रणे हन्युस्तन्मे क्षेमतरं भवेत् ॥ ४५ ॥
यदि शस्त्रधारी धृतराष्ट्र के पुत्र मुझ निहत्थे तथा रणभूमि में प्रतिशोध न करनेवाले को मारें, तो यह मेरे लिए श्रेयस्कर होगा।
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शस्त्रों से सज्जित हैं धृतराष्ट्र के पुत्र
फिर भी मैं नही शस्त्र अब उठाऊँगा।
कर दें वे मुझ निहत्थे पर आक्रमण
पर मैं विनाशक युद्ध नही कर पाउँगा।।
नही चाहिए मुझे उनसे कोई प्रतिशोध
नही मारना मुझे उन्हें,चाहे वे मुझे मारे।
कुल विनाशी बनने से तो है अच्छा प्रभु
उनके शस्त्र ही मुझे मौत के घाट उतारे।।
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