Tuesday, October 4, 2016

अध्याय-2, श्लोक-1

संजय उवाच
तं तथा कृपयाविष्टमश्रुपूर्णाकुलेक्षणम्‌ ।
विषीदन्तमिदं वाक्यमुवाच मधुसूदनः ॥ १ ॥
संजय ने कहा-करुणा से व्याप्त, शोकयुक्त, अश्रुपूरित नेत्रों वाले अर्जुन को देखकर मधुसूदन कृष्ण ने ये शब्द कहे।
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करुणा से पूरित, शोक से संतप्त 
बैठे हैं अर्जुन अश्रु नेत्रों में भरकर ।
बता रहे हैं संजय, राजा से अपने 
युद्धभूमि का सारा हाल देखकर।।

अब तक अर्जुन दे रहे थे तर्क अपने  
और प्रभु सुन रहे थे सब मौन होकर ।
किया प्रारंभ अब मधुसूदन ने कहना 
अर्जुन की ऐसी दारुण दशा देखकर।।

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