तमुवाच हृषीकेशः प्रहसन्निव भारत ।
सेनयोरुभयोर्मध्ये विषीदंतमिदं वचः ॥ १०॥
सेनयोरुभयोर्मध्ये विषीदंतमिदं वचः ॥ १०॥
हे भरतवंशी (धृतराष्ट्र)! उस समय दोनों सेनाओं के मध्य शोकमग्न अर्जुन से कृष्ण ने मानो हँसते हुए ये शब्द कहे।
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दोनों पक्षों की सेनायें तैयार खड़ी
कि कब दिखाए रणकौशल रण में।।
खड़े थे अर्जुन व्याकुल, शोकमग्न
दोनों सेनाओं के मध्य ऐसे क्षण में।।
हे भरतवंशी धृतराष्ट्र! युद्धभूमि में जब
देखी भगवन ने अर्जुन की यह स्थिति।
शोक का उनके समाधान करने हेतु
अब हँसते हुए उनसे बोले भुवनपति।।
दोनों पक्षों की सेनायें तैयार खड़ी
कि कब दिखाए रणकौशल रण में।।
खड़े थे अर्जुन व्याकुल, शोकमग्न
दोनों सेनाओं के मध्य ऐसे क्षण में।।
हे भरतवंशी धृतराष्ट्र! युद्धभूमि में जब
देखी भगवन ने अर्जुन की यह स्थिति।
शोक का उनके समाधान करने हेतु
अब हँसते हुए उनसे बोले भुवनपति।।
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