Thursday, October 6, 2016

अध्याय-2, श्लोक-12

न त्वेवाहं जातु नासं न त्वं नेमे जनाधिपाः ।
न चैव न भविष्यामः सर्वे वयमतः परम्‌ ॥ १२ ॥
ऐसा कभी नहीं हुआ कि मैं न रहा होउँ या तुम न रहे हो अथवा ये समस्त राजा न रहे हो;और न ऐसा है कि भविष्य में हम लोग नहीं रहेंगे।
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ऐसा कभी हुआ नही अर्जुन कि 
मैं न रहा हूँ या तुम रहे नहीं  हो।
सदा रहता है अस्तित्व सबका ही  
हम तुम हो या ये राजागण हो।।

क्यों करना फिर शोक व्यर्थ में 
जब सब जीव सदा ही है रहता।
वर्तमान का बस नियम नही ये 
भविष्य में भी ऐसे ही है चलता।।

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