न चैतद्विद्मः कतरन्नो गरीयो-यद्वा जयेम यदि वा नो जयेयुः ।
यानेव हत्वा न जिजीविषाम-स्तेऽवस्थिताः प्रमुखे धार्तराष्ट्राः ॥ ६ ॥
यानेव हत्वा न जिजीविषाम-स्तेऽवस्थिताः प्रमुखे धार्तराष्ट्राः ॥ ६ ॥
हम यह भी नही जानते कि हमारे लिए क्या श्रेष्ठ है- उनको जीतना या उनके द्वारा जीते जाना। हम धृतराष्ट्र के पुत्रों का वध कर हम जीना भी नही चाहते। फिर भी वे हमारे सामने युद्धभूमि में खड़े हैं।
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हमें नही पता कि क्या है उचित
युद्ध करना या फिर नही करना।
अनभिज्ञ हैं हम परिणाम से भी
होगी पराजय या तय जीतना।
धृतराष्ट्र के पुत्रों को मारकर भी
उनके बिना कैसे हम रह पाएँगे।
ऐसी विजय मिलेगी हमें जिसमें
जीतकर भी हम हार ही जाएँगे।
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